Adjustable Pukhraj Ring
Adjustable Pukhraj Ring
पुखराज पहनने के लाभ
- पुखराज रत्न पर बृहस्पति ग्रह का आधिपत्य होता है और बृहस्पति ग्रह इंसान का कर्म ,ज्ञान, बुद्धि जैसे कारक का स्वामी होता है। इसे धारण करने से व्यक्ति को शिक्षा, बुद्धि और व्यापार में लाभ प्राप्त होते हैं ,धन और समृद्धि एवं मान सम्मान प्राप्त होता है।
- सीने का दर्द, श्वास रोग, गला रोग, वायु विकार, टीबी, हृदय रोग, जैसे समस्याओं से ग्रसित मरीजों के लिए पुखराज धारण करना लाभकारी साबित होता है।
- पुखराज रत्न गर्मी उत्सर्जित करता है, जो भी पुखराज रत्न को धारण करता है उसे ऊर्जा मिलती है।
- पुखराज रत्न को धारण करने से खून की खराबी जैसी समस्या दूर होती है, यहां तक कि पुखराज रत्न जहर को भी काटने की क्षमता रखता है।
- पेट में अल्सर, मल पतला आना, या पीलिया जैसी समस्याएं भी पुखराज रत्न को धारण करने से ठीक हो जाते हैं।
- पुखराज रत्न धारण करने से व्यक्ति के मानसिक स्थिरता बढ़ती है और मस्तिष्क पर सकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं और उसकी ज्ञान की वृद्धि होती हैं।
- अस्थमा, ब्रोंकाइटिस, साइनस, बवासीर,फेफड़ों से जुड़ी बीमारियां,दुख, चिंता, तनाव, डर जैसी समस्याएं दूर हो जाती है।
- पुखराज रत्न धारण करने से व्यक्ति की यौन इच्छा बढ़ती है और किसी की नपुसंकता की समस्या भी दूर हो जाती हैं।
- पुखराज रत्न को धारण करने से व्यक्ति का पाचन तंत्र और प्रतिरक्षा तंत्र नियंत्रित रहता है। क्योंकि पुखराज रत्न शरीर के सात चक्र में से मणिपुर चक्र का स्वामी होता है यह चक्र को पुखराज रत्न संतुलन प्रदान करता है।
- पुखराज रत्न धारण करने से हड्डियों से जुड़ी तमाम प्रकार की परेशानियां जैसे की सूजन या गाठिया जैसी समस्याएं से राहत मिलती है।
पुखराज पहनने के नियम
पुखराज को हमेशा सोने ऑर पंचधातु की अंगूठी में ही धारण करना चाहिए, तभी इसका सकारात्मक प्रभाव देखने को मिलेगा।क्योंकि पुखराज बृहस्पति ग्रह का रत्न है, इसलिए बृहस्पतिवार के दिन ही आपको पुखराज पहनना चाहिए। जब भी आप पुखराज पहनें, उसे गंगाजल और दूध से धोकर पवित्र कर लें। इसे पहनने से पहले सुबह शुभ मुहूर्त में देव गुरु बृहस्पति की पूजा अर्चना विधिपूर्वक करें। इसके बाद ॐ बृं बृहस्पतये नम: मंत्र का जाप करें। उसके बाद पुखराज को अपनी तर्जनी अंगुली में पहनें। पुखराज इस तरह हो कि उसका एक हिस्सा आपकी अंगुली को छू रहा हो।
पुखराज कब धारण करें
पुखराज को गुरुवार को धारण करना सबसे शुभ होता है। जब इसे पहनना हो तो उस सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और फिर पुखराज वाली अंगूठी को दूध और गंगाजल से स्नान करवाएं। इस अंगूठी को दाएं हाथ की तर्जनी उंगली में पहनें और गुरु के ॐ बृं बृहस्पतये नम: मंत्र का जप करते हुए इसे धारण करने से आपको शीघ्र ही अच्छे प्रभाव दिखने लगेंगे।